सर्दी में पशुपालकों को अपने पशुओं को सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। तापमान में गिरावट आने से पशुओं में संक्रमण हो जाने से बीमार होने का अंदेशा बना रहता है। इससे पशु कम चारा खाना शुरू कर देता है। जिसे उपचार दिलाने में पशुपालकों को आर्थिक हानि होने के साथ-साथ पशु कमजोर हो जाता है। बाद में पशु दूध देना भी बंद कर देता है। कई बार बीमारी बढ़ने पर पशु की मौत भी हो जाती है।
👉इन बातों का रखें ध्यान (Keep these things in mind):
1.सर्दियों में पशु को बीमारियों से बचाने के लिए पशुओं को कम से कम 25 प्रतिशत हरा चारा व 75 प्रतिशत बढि़या सूखा चारा खिलाना चाहिए।
2.शाम के समय ठडक बढ़ने से पूर्व पशु को अंदर बांधें। सुबह धूप निकलने पर बाहर निकालें।
3.बासी पानी पशुओं को न पिलाए। ताजा व स्वच्छ पानी पिलाएं।
4.पशु को सप्ताह में दो बार गुड़ जरूर खिलाएं।
5.बिनौला, खल व खनिज मिश्रण दें। सेंधा नमक खिलाएं ताकि पशु की पाचन शक्ति बनी रहे।
6.पशुओं को खुली जगह में न रखें, ढके स्थानों में रखे। रोशनदान, दरवाजों व खिड़कियों को टाट/बोरे से ढंक दें।
7.पशुबाड़े में गोबर और मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करे ताकि जलभराव न हो पाए।
8.बाड़े को नमी/सीलन से बचाएं और ऐसी व्यवस्था करें कि सूर्य की रोशनी पशुबाड़े में देर तक रहे।
9.पशु के नीचे बिछावन का प्रयोग करें। बिछावन में पुआल का प्रयोग करें।
10.गर्मी के लिए पशुओं के पास अलाव जला के रखें।
11.नवजात पशु को खीस जरूर पिलाएं, इससे बीमारी से लडऩे की क्षमता में वृद्धि होती है।
12.प्रसव के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी पिलाएं।
13.गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें व प्रसव में जच्चा-बच्चा को ढके हुए स्थान में बिछावन पर रखकर ठंड से बचाव करें।
14. पशुओं में डेगनाला बीमारी न हो, इसके लिए पराली अगर आप खिला रहे है, तो इसका ध्यान दें कि वह साफ़-सुथरी हो.
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