योगी सरकार ने किसानों के हित में एक बढ़ा फैसला लिया हैं क्योंकि अब पराली पैंसों वाली होगी। किसानों के ऊपर लगने वाले जुर्माने को हटाकर अब किसानों को रकम दी जाएगी। जिससें न तो पराली जलेगी न तो जुर्माना लगेगा। साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी हो सकेगा.
बतादें की प्रदेश में पहला बहराइच में कृषि अवशेष से बायोकोल उत्पादन करने वाला संयंत्र का कार्य पूरा हो गया है और जल्द ही इसकी शुरूआत होने वाली है.
- इसी तरह का संयत्र लगाने के लिए शाहजहांपुर से दो, पीलीभीत से एक, फैजाबाद से एक, बस्ती से एक और गोरखपुर से भी एक प्रस्ताव आए हैं, जिनसे संबंधित लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है.
किसानों से खरीदी जा रही फसल अवशेष
इसके लिए क्षेत्र के हजारों किसानों से कृषि अपशिष्टों जैसे धान का पुआल, मक्के का डंठल, गन्ने की पत्ती आदि 1500 से लेकर दो हजार तक प्रति टन भुगतान कर खरीदी जा रही है. अब तक किसानों से करीब 10 हजार कुंतल फसल अवशेष खरीदे जा चुके हैं.
साथ ही इन यूनिटों की स्थापना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से सौ से ज्यादा लोगों को नियमित रोजगार मिला है. साथ ही किसानों को पराली और कृषि फसल अवशेषों से अतिरिक्त आय हो रही है.
निर्धारित की गई फसल अवशेषों की दर
गन्ने की पत्ती की बेल (गांठ): 1.50 रुपये प्रति किलो
सरसों की डंठल (तूड़ी) : 2 रुपये प्रति किलो
मक्का डंठल : 1.50 रुपये प्रति किलो
पराली (धान पुआल) बेल : 1.50 रुपये प्रति किलो
गेहूं का डिस्पोजेबल अवशेष : 1.50 रुपये प्रति किलो
अरहर स्टैक (झकरा) : 3 रुपये प्रति किलो
मसूर भूसा : 2 रुपये प्रति किलो
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